''साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों के चलते फेसबुक, ट्विटर और गूगल को चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी की है. आयोग ने इन तीनों सोशल मीडिया कंपनियों के साथ एग्रीमेंट किया है. एग्रीमेंट के तहत कंपनियों ने आयोग से कहा है कि ‘साइलेंस पीरियड’ के दौरान वह सेल्फ सेंसर की प्रक्रिया अपनाएंगे. इसके तहत राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया पर मिलेगा केवल 12 दिनों का समय मिलेगा. इसके बाद वह कोई चुनावी प्रसारण नहीं कर सकेंगे. ‘साइलेंस पीरियड’ का मतलब है कि वोटिंग से 48 घंटे पहले राजनीति से जुड़े किसी भी तरह के कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड नहीं किया जा सकेगा.''
देश में इस साल कुछ राज्यों व अगले साल लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया कंपनी गूगल, फेसबुक और ट्विटर के साथ मिलकर एक योजना तैयार की है इसके चलते इसी साल होने जा रहे विधान सभा चुनाव में और अगले साल होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग सोशल मीडिया के साथ मिलकर काम करेगा. बताया जा रहा है कि चुनावी अभियान के दौरान राजनीतिक और सरकारी विज्ञापनों को गूगल, फेसबुक और ट्विटर से अपने प्लेटफॉर्म्स पर जगह न देने की अपील की गई है.
आयोग ने तीनों ही कंपनियों से सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अपमानजनक और आपत्तिजनक कंटेंट पर भी बैन लगाने को कहा है. तीनों ही कंपनियों से आयोग की पिछले कई महीनों से इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही थी. तीनों ही कंपनियों संग चुनाव से 48 घंटे पहले इन प्लेटफॉर्म्स पर ‘साइलेंस पीरियड’ लागू करने पर भी सहमति बनी है. ‘साइलेंस पीरियड’ का मतलब है कि वोटिंग से 48 घंटे पहले राजनीति से जुड़े किसी भी तरह के कंटेंट को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड नहीं किया जा सकेगा.
कंपनियों ने आयोग से कहा है कि वह सेल्फ सेंसर की प्रक्रिया अपनाएंगे. 14 दिनों के चुनावी प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दलों को सोशल मीडिया पर केवल 12 दिनों का ही समय दिया जाएगा. शेष दो दिनों तक किसी भी तरह का चुनावी विज्ञापन अपलोड नहीं किया जा सकेगा. मुख्य चुनाव आयुक्त ओ.पी. रावत ने इस बारे में कहा कि चुनाव आयोग तीनों कंपनियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के अधिकारियों संग आखिरी मीटिंग कर चुका है. इन प्लेटफॉर्म्स पर बेहतर चुनावी अभियान से जुड़ी सामग्री ही अपलोड की जा सकेगी.
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