''अब मैं सोयाबीन बोने की तैयारी कर रहा हूँ. उचित निकासी की व्यवस्था नहीं होती, यही हाल रहा तो जलभराव की स्थिति बनेगी और वह गल जाएगा. अब बताइये अपनी कोई समस्या है तो आखिर कहाँ जाए किसान?''
रेलवे के छिंदवाड़ा के तत्कालीन EE और AE ने मेरे खेत के पास नाली बनायीं, इससे मेरे खेत में पानी जमा हो रहा है और अधिक बारिश में तालाब का रूप ले लेता है. इस समस्या के निदान के लिए मैं पिछले 8-9 माह से इन दोनों अधिकारियों से मिलता रहा और उनसे मेरे खेत में जमा होने वाले पानी के निकासी के लिए निवेदन करता रहा, किन्तु आज तक इन अधिकारियों ने खेत के पानी को निकालने की कोई व्यवस्था नहीं कि कल मैंने EE से इस विषय पर बात की, तब उन्होंने कहा कि आपने सड़क के लिए PM को लिखा है, यह समस्या भी PM को भेज दो, वही इसका समाधान करेंगे और फोन बंद कर दिया.
इसके पूर्व मैंने गाव के किसानों के लिए छिंदवाड़ा नागपुर ब्राड गेज बन जाने के कारण किसानों को उनके खेत में जाने के लिए सड़क की मांग की थी. WBM सड़क रेलवे ने बनायी है, इस सड़क पर वाहन चलने से धूल उड़ती है और फसलों पर जाती है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार धूल फसलों के लिए जहर का काम करती है, इसीलिए मैंने पक्की सड़क की मांग केन्द्रीय मंत्रियों और PM से की थी. मैंने अपनी मांग PM से क्यों की? इससे EE नाराज है और इसीलिए मेरे खेत में पानी भरा रहे और फसल नहीं होने से आर्थिक नुकसान की योजना पर काम कर रहे हैं.
यदि खेत से पानी निकासी की व्यवस्था नहीं की गयी, तो मुझे कोई भी फसल नहीं होगी. अब मैं सोयाबीन बोने की तैयारी कर रहा हूँ. उचित निकासी की व्यवस्था नहीं होती, यही हाल रहा तो जलभराव की स्थिति बनेगी और वह गल जाएगा. AE का भी समस्या के प्रति उपेक्षित व्यवहार था. इन दोनों अधिकारियों का आम व्यक्ति के प्रति क्या ऐसा व्यवहार उचित है? अब बताइये अपनी कोई समस्या है तो आखिर कहाँ जाए किसान?
छिंदवाड़ा से राम पुरुषोत्तम कस्तूरे
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