- डॉ सुलक्षणा अहलावत, रोहतक हरियाणा
गोझ भरण की राही बना ली लोगाँ नै समाज सेवा, सेवा करण तै पहल्यां देखैं सँ कितनी मिलैगी मेवा। सेवा करै तै मेवा मिलै इस बात कै अर्थ बदल दिए, ठगनी माया खातर देखो किस राही लोग चल दिए। बना संस्था ले चंदा घर आपणा भरण लागै लोग, दो पिस्साँ खातर ईमान गिरवी धरण लागै लोग। दस पिस्से ला कै करैं सँ शोर सौ पिस्साँ का लोग, झूठी बढ़ाई लेण का देखो लाग्या किसा यू रोग। काम करदे कोण्या बस ये लोग दिखावा करै जावैं, दुनिया नै दिखाण ताहीं झूठे साचै फोटू खिंचवावैं। कागजां अर अखबारां म्ह धुम्मे ठा राखे काम के, हकीकत म्ह ये संस्था आले भूखे सँ सूखे नाम के। सरकार आल्यां गेल्याँ मिलकै चार सौ बीसी करैं, समाज सेवा के नाम प ले ग्रांट ये घर आपणा भरैं। अखबारां अर फोटू के दम प अवार्ड बी ले जा सँ, फेर उसे अवार्ड की आड़ में ये लूट लूट कै खा सँ। राजी होरै सँ झूठा नाम अर झूठी वाहवाही पा कै, असल बात स या खा नहीं सकते आड़े कमा कै। क्यूकर भला होवैगा इनका ये औरां का हक मारैं, ला कै मीठी मीठी बात हम सबनै ये शीशे म्ह तारैं। "सुलक्षणा" इनकै पाप का घड़ा एक दिन भरैगा, परमात्मा देखै स इणनै वो हे आपै फैसला करैगा।
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